
जेष्ठ मास की अमावस्या की तिथि में वट सावित्री पूजा मनाया जाता है। वट सावित्री के व्रत के दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन वटवृक्ष यानी बरगद के पेड़ की पूजा की जाती हैं। वट सावित्री के दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं । वट सावित्री के पावन दिन सुहागन महिलाएं वट वृक्ष के चारों ओर 108 बार परिक्रमा करती है। इस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं। वट सावित्री के दिन वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ का काफी महत्व होता है। इस दिन बरगद के पेड़ की ही पूजा की जाती है। पुराणों के अनुसार बरगद के पेड़ में त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है। इस पेड़ की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। मान्यता है कि इस दिन विधि विधान से व्रत रखने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। वट सावित्री व्रत भगवान विष्णु को ही समर्पित है और इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है।
