
गया : बिहार के गयाजी में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला 2025 चल रहा है. यहां देश के कोने-कोने से तीर्थ यात्री पहुंच रहे हैं. वहीं सात समुंदर पार रूस, अमेरिका, स्पेन और यूक्रेन से भी पिंडदानी आए हैं. विदेशी तीर्थ यात्री अपने पितरों की मुक्ति की कामना के लिए पिंडदान कर रहे हैं विष्णुपद मंदिर में विदेशी कर रहे पिंडदान : विष्णुपद मंदिर के समीप पिंडवेदी पर विदेशी पिंडदानियों का जत्था नजर आया. 14 महिलाएं और तीन पुरुष पूरे विधि-विधान से कर्मकांड कर रहे थे. उनके मुख से भगवान विष्णु, गायत्री और महामृत्युंजय मंत्र गूंज रहे थे. यह दृश्य देखकर हर कोई ठिठक रहा था, जैसे कोई सपना सच होते देख रहे हों.
तीन दिवसीय श्राद्ध में शामिल विदेशी : ये विदेशी पिंडदानी तीन दिवसीय पिंडदान श्राद्ध में जुटे हैं. फल्गु, सीता कुंड, प्रेतशिला, रामशिला, काकबली और विष्णुपद पर पिंडदान किया गया है. शुक्रवार को अक्षयवट और अन्य वेदियों पर भी पिंडदान होगा. इनके साथ रूस, जर्मनी और अन्य देशों से आए श्रद्धालु भी जुड़े हैं.रिसर्च के बाद पहुंचे गया जी : ये विदेशी महज पर्यटन के लिए नहीं आए बल्कि पिंडदान और सनातन धर्म पर गहरा शोध करके पहुंचे हैं. इन्होंने सनातनी मंत्रों के प्रभाव पर अध्ययन किया और उससे प्रभावित होकर पिंडदान के लिए गया जी आना तय किया. साथ ही चार धाम यात्रा का भी संकल्प लिया है.
''इन्होंने पिंडदान पर काफी शोध किया और इसके बाद खुद को गया जी आने से नहीं रोक सके. यह गया जी में पिंडदान कर रहे हैं. वहीं चार धाम की यात्रा पर भी जाएंगे. इनका कहना है, कि उन्होंने अपने शोध के दौरान पाया कि सनातनी धर्म के मंत्रोच्चार का काफी प्रभाव है. प्रत्यक्ष -अप्रत्यक्ष रूप से इसका प्रभाव देखने समझने को मिलता है.'' - अभिनव सिंह, काशी धाम की एक संस्था से जुड़े आचार्य
रुद्राक्ष-तिलक और ऊं श्री विष्णुये नमः का जाप : विदेशी पिंडदानियों ने सनातनी परंपरा के अनुसार गले में रुद्राक्ष, ललाट पर तिलक धारण किया है. वे खुद सामग्री जुटाकर पिंड बना रहे हैं और हर मंत्रोच्चार के साथ "ऊं श्री विष्णुये नमः" का जाप कर रहे हैं. उनकी आस्था देखकर स्थानीय लोग भी भाव-विभोर हो रहे हैं
रूस की ओदा ने सुनाया गायत्री मंत्र : रूस की पिंडदानी ओदा ने मीडिया के सामने भगवान विष्णु का मंत्र और गायत्री मंत्र का जाप सुनाया. उन्होंने बताया कि इन मंत्रों से जीवन में सकारात्मक बदलाव आता है और सुख-समृद्धि मिलती है.
काशी धाम से जुड़ाव और सनातन संस्कृति का प्रभाव : काशी धाम से जुड़े आचार्य अभिनव सिंह ने बताया कि ये विदेशी कई वर्षों से सनातन संस्कृति से प्रभावित हैं. अपने घरों में शिवलिंग स्थापित कर पूजा करते हैं और शाकाहार अपनाए हुए हैं. इन्हें विष्णु मंत्र, गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र और गणेश मंत्र कंठस्थ हैं यह विदेशी पिंडदानी रूस, अमेरिका, स्पेन और यूक्रेन के हैं. इन्होंने पिंडदान तर्पण श्राद्ध के बारे में पढ़ा जाना और रिसर्च किया. फिर सनातनी भाव लेकर यहां आए हैं. यह सभी शिव और शक्ति की भी आराधना करते हैं. पितरों का कल्याण के लिए पिंडदान तर्पण श्राद्ध कर रहे हैं.''- अभिनव सिंह, काशी धाम की एक संस्था से जुड़े आचार्य
पंडा समाज ने भी जताई खुशी : गयापाल पंडा बंधुलाल टईया ने बताया कि ये विदेशी पहली बार गया जी पहुंचे हैं. इनकी आस्था और सनातनी भाव देखकर गयाजी में हर कोई गौरव महसूस कर रहा है.
