
वर्ष 1998 में माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय और वर्ष 2003 में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा इलेक्ट्रो होम्योपैथी के लिए शासकीय मान्यता पर केंद्रीय और राज्य सरकारों को पहल करने हेतु निर्णयादेश देने के बावजूद आज तक सरकार आनाकानी कर संविधान प्रदत्त अधिकार का सरासरी उल्लंघन है। एसोसिएशन के बिहार प्रदेश अध्यक्ष डॉ राम उदय शर्मा ने कहा कि जो बात सदन से नहीं होता वो बात सड़क पर उतरने से होता है। सरकार की आनाकानी और बहानेबाजी को नाकाम कर इलेक्ट्रो होम्योपैथी को शासकीय मान्यता दिलाने के लिए वक्त पड़ने पर संविधान का आदर करते हुए लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन भी किया जाएगा। दिल्ली इलेक्ट्रो होम्योपैथिक मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ कपिल सिंह ठाकुर ने कहा कि इलेक्ट्रो होम्योपैथिक शासकीय मान्यता के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा गठित आई डी सी के द्वारा माँगी जा रही डॉक्युमेंट्री प्रूफ जमा कर रहे हैं । जनहितकारी चिकित्सा पद्धति होने के कारण सरकार को शासकीय मान्यता देनी ही होगी। अन्यथा देश के करीब पाँच लाख ई एच् चिकित्सक चरणबद्ध उग्र आंदोलन करने को विवश हो जाएंगे। प्रपोजल होल्डर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार डॉ एस आर पंडित नें कहा कि इलेक्ट्रो होम्योपैथी के चिकित्सक अपना बखूबी ईमानदारी पूर्वक जनहितार्थ कर्तव्य कर रही सरकार को भी आनाकानी और बहानेबाजी न करते हुए ई एच् चिकित्सा पद्धति संविधान प्रदत्त अधिकार का सम्मान इसे करते हुए सरकारी चिकित्सा पद्धति का दर्जा देनी चाहिए। इस वेभीनार में डॉ सुधांशु कुमार, डॉ राजेश कुमार, झारखंड से डॉ जे मंडल, डॉ आर बी सिंह, डॉ अनंत विक्रम, डॉ एस के सुमन, डॉ हरिबोल यादव, डॉ सिंकू मिश्रा सहित कई चिकित्सकों नें भाग लिया।
