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हेमंत सोरेन से जुड़ी रांची की 31 करोड़ की जमीन कुर्क, 14 साल से कर रखा था कब्जा: ED // LIVE NEWS24

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न्यूज़ डेस्क : ED (प्रवर्तन निदेशालय) ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कथित स्वामित्व वाले 8.86 एकड़ के भूखंड को कुर्क कर लिया है। ED ने गुरुवार को इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री और उनके सहयोगियों के खिलाफ धनशोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) मामले में जांच के तहत यह कार्रवाई की गई है।

ED ने 30 मार्च को झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के 48 वर्षीय नेता सोरेन तथा चार अन्य (भानु प्रताप प्रसाद, राजकुमार पहान, हिलारियास कच्छप और विनोद सिंह) के खिलाफ विशेष धनशोधन निवारण अधिनियम अदालत (PMLA कोर्ट) में आरोपपत्र दाखिल किया था। अदालत ने गुरुवार को अभियोजन की इस शिकायत का संज्ञान लिया। ED ने अदालत से 8.86 एकड़ के भूखंड को जब्त करने की अनुमति देने का अनुरोध किया था।

सोरेन का यह भूखंड रांची में बरियातू रोड पर बारागैन अंचल में है। ED के आरोप-पत्र की प्रति के अनुसार 3,50,680 रुपए प्रति डेसीमल की शहरी रिहायशी दर के हिसाब से यह भूखंड 31,07,02,480 रुपए का है। जांच एजेंसी के मुताबिक यह अचल संपत्ति सोरेने के पास 2010-11 से 'कब्जे में' है।

इससे पहले ED ने जनवरी में इस मामले में सोरेन से उनके सरकारी निवास पर पूछताछ की थी और फिर उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। इससे पहले उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में रांची के होटवार की बिरसा मुंडा केंद्रीय जेल में हैं। मनी लॉन्ड्रिंग की यह जांच जमीन 'घोटाले' में झारखंड पुलिस द्वारा दर्ज की गयी प्राथमिकियों पर आधारित है और सरकारी अधिकारियों समेत कई लोगों पर इस 'घोटाले' का आरोप है।

ईडी ने एक बयान में बताया था कि इस मामले में मुख्य आरोपी झारखंड के राजस्व विभाग के पूर्व अधिकारी एवं सरकारी रिकॉर्ड संरक्षक प्रसाद हैं। जिन्होंने अपने पद का 'दुरुपयोग करते हुए' सोरेन समेत कई लोगों को अपराध की कमाई करने तथा जमीन पर अवैध कब्जे, अधिग्रहण जैसी अन्य गतिविधियों को करने में उनकी मदद की।

ED ने दावा किया, 'झारखंड में भूमाफिया का एक गिरोह सक्रिय है जो रांची में भू-रिकॉर्ड में जालसाजी करता है।' जांच में पाया गया है कि जमीन के स्वामित्व रिकॉर्ड में भी ‘छेड़छाड़’ की गई है ताकि कथित भूमाफिया को फायदा मिले तथा उस जाली भू-रिकॉर्ड के आधार पर ऐसे भूखंडों को अन्य व्यक्तियों को बेचा जा सके।

ED ने कहा, 'स्वामित्व के असली भू-रिकॉर्ड के साथ या तो छेड़छाड़ की गई या उन्हें छिपा दिया गया ताकि ऐसी संपत्तियों का अवैध अधिग्रहण, उन पर कब्जा और उनका इस्तेमाल किया जा सके।'