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इलेक्ट्रो होम्योपैथी को शासकीय मान्यता देने के लिए आई.डी.सी. का अव निर्णायक पहल जारी // LIVE NEWS24

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न्यूज डेस्क : इलेक्ट्रो होम्योपैथी ही विश्व की पहली चिकित्सा पद्धति है जो कि प्योर हर्बल पैथी है। उक्त बातें LIVE NEWS24 वेभ पोर्टल के संपादक पुष्पराज कुमार को एक साक्षात्कार में बताते हुए इंस्टीच्यूट ऑफ अल्टरनेटिव मेडिकल साइन्स के निदेशक डॉ. सुभाष कुमार विद्यार्थी नें कहा। इन्होंने कहा कि इलेक्ट्रो होम्योपैथी की खोज इटली के महात्मा डॉ काउंट सीजर मैटी साहब द्वारा 1865 ई में हुई। शरीरस्थ 'रस' और 'रक्त' को शुद्ध कर समस्त रोगों को समूल ठीक करने के सिद्धांत पर आधारित इस पैथी में सभी औषधियाँ केवल और केवल वनस्पतियों से तैयार की गई है। डॉ विद्यार्थी ने बताया कि इस औषधि में सभी तरह की नये, पुराने एवं असाध्य रोगों को समूल ठीक करने की अपार क्षमता है।
क्या इलेक्ट्रो होम्योपैथी को सरकारी मान्यता है के जबाब में डॉ विद्यार्थी ने कहा कि अब तक इलेक्ट्रो होम्योपैथी को चिकित्सा, शिक्षा एवं शोध कार्य के लिए माननीय भारतीय सर्वोच्च न्यायालय तथा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार से मान्य है लेकिन पूर्ण रूपेण शासकीय मान्यता नहीं मिली है।
पूछे जाने पर कि क्या इलेक्ट्रो होम्योपैथी को देश में शासकीय मान्यता मिलेगी के जबाब में डॉ. विद्यार्थी नें बताया कि भारत जैसे विशालतम एवं प्रगतिशील देश के लिए इलेक्ट्रो होम्योपैथी जैसी विषहीन, हानिरहित, शीघ्र गुणकारी विशुद्ध हर्बल पैथी की नितान्त आवश्यकता है जो कैंसर जैसी बीमारी में भी काफी लाभदायक है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस पैथी को शासकीय मान्यता देने के लिए एक आई.डी.सी. कमिटी के गठन किया है जिन्होंने देश भर के 29 प्रोपोजलिस्टों के साथ कई बार बैठक कर दस्तावेज एवं चिकित्सा कर रहे चिकित्सकों की सूची, शिक्षा एवं शोध कार्य में लगे संस्थानों की सूची आदि प्राप्त किया और वे दिनांक- 04 अगस्त 2022 से इलेक्ट्रो होम्योपैथी के प्रचार प्रसार एवं विकास कार्य में लगे चिकित्सकों, संस्थानों आदि का भौतिक सत्यापन कार्य प्रारंभ कर दिया है।
ई.एच. से जुड़े चिकित्सकों से आप क्या उम्मीद करते हैं पर डॉ. विद्यार्थी नें कहा कि इलेक्ट्रो होम्योपैथी के चिकित्सक अब तक बिना सरकारी सहयोग के चिकित्सा, शिक्षा एवं शोध कार्य करते आ रहे हैं। हमारे सभी चिकित्सक बन्धु चाहते हैं कि इलेक्ट्रो होम्योपैथी को देश में शासकीय मान्यता मिले और वे काफी खुश हैं कि आई.डी.सी. इस ओर बहुत ही सकारात्मक रबैया से पहल कर रहे हैं निसमें अभी चिकित्सक बंधुओं का भरपूर सहयोग मिलेगा।