
न्यूज़ डेस्क : झारखंड सरकार के विभिन्न विभागों और उनके अधीनस्थ कार्यालयों में सांसद, विधायक और अन्य जनप्रतिनिधियों के सवालों के जवाब नहीं दिए जाते हैं।जनप्रतिनिधियों द्वारा किसी कार्य के निष्पादन के लिए भेजे गए पत्र व सुझावों पर ससमय जवाब नहीं भेजा जाता है। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मंत्रिमंडल, सचिवालय व निगरानी विभाग के सचिव ने आदेश निकाला है। इस आदेश के आलोक में राज्य पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों के एसपी को निर्देश दिया है। जिलों के एसपी को आदेश दिया गया है कि वे जनप्रतिनिधियों द्वारा मिली शिकायतों पर तत्काल कार्रवाई करें, उन्हें पत्र का भी तत्काल जवाब दें।
पत्र में फोन रिसीव नहीं करने का भी जिक्र
आदेश संबंधी पत्र में जिक्र है कि जनप्रतिनिधियों द्वारा फोन किए जाने पर अधिकारियों, यहां तक की क्षेत्रीय कार्यालयों के अधिकारियों के द्वारा भी कई बार फोन नहीं उठाया जाता है। वहीं, कभी कभार फोन स्वीच ऑफ पाया जाता है। यह गलत बात है।
जनप्रतिनिधियों की शिकायत कैसे होगी दूर
अधिकारियों को आदेश दिया गया है कि वह जनप्रतिनिधियों का सम्मान करें, उनकी बातों को धैर्यपूर्वक सुनें। नियमानुसार उनके उठाए मुद्दों पर कार्रवाई कर, उन्हें सूचित करें। जिन मामलों में अंतिम निर्णय होने में देरी हो, उन मामलों में अंतरिम उत्तर देकर वस्तुस्थिति से अवगत कराएं। साथ ही आमलोगों से मिलने के निर्धारित समय में उसका अनुपालन निश्चित करें।
फोन बंद न रखें
अफसरों को आदेश दिया गया है कि वे अपवाद को छोड़ किसी भी परिस्थिति में अपने फोन को स्वीच ऑफ नहीं रखें। जनप्रतिनिधियों के फोन यथासंभव रिसीव करें, यदि किसी कारणवश फोन रिसीव नहीं किया गया हो तो वैसी परिस्थिति में कॉल बैक कर बात करें। पत्राचार की त्वरित सूचना और ई-मेल के माध्यम से व्यवस्था विकसित करने की बात भी कही गई है।
सांसद व जनप्रतिनिधि लगातार करते रहे हैं शिकायत
हाल के दिनों में सांसदों द्वारा लगातार अफसरों पर फोन नहीं उठाने की शिकायत की जाती रही है। रांची सांसद संजय सेठ ने भी आरोप लगाया था कि रांची डीसी उनका फोन नहीं उठाते हैं। इसी तरह गोड्डा सांसद ने भी देवघर के डीसी व एसपी पर फोन नहीं उठाने का आरोप लगाया था। पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता बाबुलाल मरांडी और भाजपा के राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश भी ऐसे ही आरोप अधिकारियों पर लगा चुके हैं। सभी ने इससे जुड़े ट्वीट व फेसबुक पोस्ट भी लिखे थे।
