
चान्दन/ बांका: भारत आत्मनिर्भर की ओर दौड़ रहे हैं, बिहार विकास की ओर, सर्वे के मुताबिक कुछ तो आत्मनिर्भर जरूर हुए हैं। बिहार में भी कुछ विकास दिखाई दे रहे हैं। लेकिन ग्रामीण इलाका की ओर देखा जाए तो बहुत ऐसे ग्रामीण इलाका क्षेत्र है जहां 15 से 20 सालों से आज तक कोई विकास का काम नहीं हो पाया है। इसका मुख्य वजह है ग्राम पंचायत का मुखिया और पदाधिकारी, कुछ ऐसे वार्ड है जहां पर आज तक कोई जमीनी पर काम नहीं दिख रहा है। जैसे सिलजोरी पंचायत के वार्ड नंबर 1 एवं गोरीपुर पंचायत के वार्ड नंबर 9 है। सिलजोरी पंचायत के ग्रामीण भोला राय, शंभू राय, रामदेव राय, छतीस यादव, सुशीला देवी, पार्वती देवी, शांति देवी, एवं गोरीपुर पंचायत के सोनेलाल तिवारी, मनोज तिवारी, अशोक पंडित, अमरेंद्र तिवारी, रामू रामानी, गणेश रामानी, एवं वार्ड के सभी ग्रामीण कहते हैं कि हमारे वार्ड का विकास नहीं हुआ है। मगर मुखियाजी का जरूर विकास हुआ है। हम सब ग्रामीणों का आज तक कोई विकास का नाम क्या होता है यह पता नहीं है। इससे साफ पता चलता है कि पदाधिकारी एवं जनप्रतिनिधि के लापरवाही से यह दोनों पंचायत के वार्ड, विकास की दौड़ में छूट गए हैं, और न जाने ऐसे कई पंचायतों का हाल होगा। कुछ नये जनप्रतिनिधि मुखिया पद के लिए खड़ा होकर ग्रामीण इलाका को विकास की ओर ले जाने का संकल्प लेते जरूर हैं। लेकिन वर्तमान मुखिया द्वारा इलेक्शन में इतने नाजायज पैसे खर्च कर देते हैं कि नये प्रत्याशी को जितना मुश्किल हो जाता है। ग्रामीण इलाकों में ज्यादातर अशिक्षित परिवार रहते हैं जो वर्तमान मुखिया को उसे बाहलाने में कोई दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ता है। कुछ तो ऐसे जनप्रतिनिधि है जो किसी वार्ड को ही खरीद लेते हैं। वार्ड में कुछ 2- 4 पढ़े लिखे शिक्षित रहते हैं उसे रोजगार देने के नाम पर उससे रुपया देकर गांव में बटवा दिया जाता है। कुछ व्यक्ति ऐसे हैं जो नहीं चाह करके भी वह पैसे ले लेते हैं। कारण उनकी परिस्थिति या किसी के साथ बीमारी और लाचारी होने के कारण फिर से बिक जाते हैं। सरकार इन पर जब तक ठोस कदम नहीं उठायेंगे तब तक ऐसा ही हाल रहेगा हमारे बिहार में। बिहार में विकास तो नहीं, मगर बिहार के पदाधिकारी और जनप्रतिनिधियों का विकास जरूर है। सिलजोरी पंचायत के ग्रामीण और गोरीपुर पंचायत के ग्रामीणों का कहना है, सरकार इस विषय पर ठोस कदम उठाएं।
