
जिले में मुलभुत सुविधाओं को घोर आभाव है। बिजली, सड़क और स्वास्थ्य की स्थिति बद से बदत्तर है। जिसके कारण आए दिन लोगों की समस्या बनी रहती है। ग्रामीण इलाकों में बिजली और स्वास्थ्य की स्थिति भगवान भरोसे है। जिले के प्रतापपुर, हंटरगंज और कुंदा, लावालौंग, कान्हाचटटी प्रखंड में बिजली की समस्या है। इन प्रखंडों में 24 घंटे में मात्र दो से चार घंटे बिजली मिलती है। वह भी नियमित रूप से नहीं। हंटरगंज और प्रतापपुर में बिजली की समस्या है। इन दो प्रखंड बिहार सीमा से लगा है। बिहार में 24 घंटे में लगभग 20 से 22 घंटे बिजली रहती है। लेकिन झारखंड के लोगों को यह सपना बना हुआ है कि कब उन्हें 20 से 22 घंटे बिजली मिले। प्रतापपुर के अजीत सिंह, योगेंद्र भारती, गौरव कुमार, सत्येंद्र ठाकुर सहित कई लोगों ने बताया कि बिजली यहां 24 घंटे में मात्र तीन से चार घंटे ही मिलती है। वह भी नियमिति रूप से नहीं। प्रतापपुर प्रखंड में सुबह छह से आठ बजे, दोपहर 12 से दो बजे, शाम छह से आठ बजे और रात 12 से दो बजे तक निर्धारित किया गया है। लेकिन निर्धारित समय में बिजली नहीं मिलती है। मिलती भी है तो दो घंटे के अंतराल में करीब 10 से 15 बार बिजली काट कर दिया जाता है। आठ घंटे के सिडुल में 30 से 40 बार बिजली काट ली जाती है। ऐसे में नियमित रूप से बिजली नहीं मिलने से लोग गर्मी के इस मौसम में परेशान रहते हैं। नहीं शुरू हो रहा चोरकारी पावर ग्रीड। सरकार के उदासीन रवैये के कारण इटखोरी का चोरकारी पावर ग्रीड शुरू नहीं हो रहा है। ऐसे में जिलेवासियों को बिजली की समस्या झेलना पड़ रहा है। श्रमनियोजन एवं प्रशिक्षण मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने बीते मार्च माह में ही इटखोरी के चोरकारी पावर ग्रीड को शुरू करने की बात कही थी। लेकिन मई माह में भी चोरकारी पावर ग्रीड नहीं शुरू हुआ हैं। ऐसे में इनके प्रति भी लोगों का विष्वास उठता जा रहा है।
ग्रामीण इलाकों में सड़क और स्वास्थ्य की स्थिति दयनीय है। स्वास्थ्य सुविधा नदारत है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को झोला छाप डॉक्टर का सहारा लेना पड़ता है। सड़क की भी दयनीय है। सड़क की स्थिति इस कदर खराब है कि एक घंटे का सफर में कई घंटों समय लग जाता है। उक्त सड़क पर आए लोग दुर्घटना के षिकार हो रहे हैं। कई लोग असमयिक काल के गाल में समा गए हैं। जिले में बिजली की समस्या समाधान के लिए काई जनप्रतिनिधि आगे नहीं आ रहे है।
केवल चुनाव के समय में बड़े बड़े वायदे किये जाते हैं। लेकिन जैसे ही चुनाव समाप्त हो जाता है और चुनाव जीत जाते हैं तो इनके वायदे धरे के धरे रह जाते हैं। बिजली की समस्या समाधान के लिए न सांसद आगे आ रहे हैं और ना ही विधायक। ऐसे में इन जनप्रतिनिधियों के प्रति लोगों में रोष बढ़ता जा रहा है।
